VASTUDEVAA

Jun 5, 20211 min

ज़िन्दगी के सफर की हद है....?

ज़िन्दगी के सफर की हद है, वहा तक, के जहा तक इसके निशां रहे...
 
चले चलो वहा तक, जहा तक ये नीला आसमान रहे..
 
ये क्या के उठाये कदम और आ गई मंज़िल...
 
मज़ा तो तब है के पैरो मे कुछ थकान रहे |

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